वानी

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सारे हक तुम्हे देता हूं

चैप्टर 36 सारे हक तुम्हे देता हूं

अब तक आपने पढ़ा शौर्य सबको इस एम मेंशन जाने के लिए कहता है राहुल पूछता क्या वो उससे नफरत नहीं करता है राहुल और रिहान नमक के लिए लड़ रहे होते हैं सिद्धार्थ जल्दी ही ऑफिस से आ जाता है


अब आगे

सिद्धार्थ जल्दी ही ऑफिस से आ जाता है मीरा उसे देखती है तो उसके पास जाके बैठ जाती है फिर कहती है "मुझे तुम्हे कुछ देना है, मेरे साथ आओ"

वो दोनो मीरा के कमरे मे आते हैं मीरा उसे एक फाइल देते हुए कहती है "इसमे उस ज़मीन के काग़ज़ हैं ,और राहुल की बर्थ डिटेल, वो लिगल्ली तुम्हारा है इसके बाद उसके लिये फैसला तुम लोगे"

और एक फाइल देते हुए कहती है "और इस फाइल में तुम्हारी प्रॉपर्टी की डिटेल्स भी हैं जो इंडिया मे है" फिर मीरा खिड़की के पास जाती है और एक गहरी सांस लेकर कहती है  "तुम्हारी हर अमानत मैने तुम्हे सोम्प दी सीड, तुम अपने और राहुल के लिए जो फैसला लोगे मुझे मंज़ूर होगा"

मीरा नम आँखो से सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है "उसे मुझसे ज़ादा दूर मत करना मै जी नही पाऊँगी, ये सारी प्रॉपर्टी सब तुम्हारा है और राहुल तुम्हारा भांजा लेकिन मैने उसे पाला है ,तुम अब अपनी ज़िम्मेदारी और खुद को संभाल सकते हो तो आज से तुम अपनी ज़िंद.. "

मीरा आगे कुछ कहती उससे पहले ही सिद्धार्थ बोलता है "बस करो बहुत बोल चुकी तुम और बहुत सुन चुका मै" फिर वो मीरा को नम आँखो से देखते हुए कहता है "तुम सबको प्यार से रखती हो, सबको मानती हो, फिर मुझसे ये नफ़रत क्यों"

वो अपना सीर झुका लेता है फिर कहता है "मै अपनी बहन को नही बचा पाया मीरा, तुम्हे बहन तो नही कह सकता, क्योंकि दीदी ने हमे दूसरी नज़र से देखा था लेकिन हम दोस्त तो हैं ना"

वो अपनी आस भरी नजरों से उसे देखते हुए कहता है "मेरा इस दुनिया मे कोई नही है मीरा तुम्हारे सिवा" फिर उसके हाथ मे फाइल रखते हुए कहता है "दीदी ने मेरी ज़िम्मेदारी तुम्हे दी थी ,वो ज़िम्मेदारी  तुम्हे सारी उम्र निभाना होगा"

फिर मीरा के सर पे हाथ रखके कहता है "मै सिद्धार्थ ओबोरॉय आज से अपनी जिंदगी का हर फैसला लेने का हक तुम्हे देता हु ,तुम जब कहोगी जहाँ कहोगी जैसा कहोगी मुझे मंज़ूर होगा, और रही बात राहुल की, तो वो तुम्हारा बेटा है और उसपर सिर्फ तुम्हारा अधिकार होगा"

फिर वो वहाँ से जाने लगता है तभी मीरा कहती "ठीक है तो आज के बाद तुम्भी हमारे साथ रहोगे" सिद्धार्थ बिना पीछे मुड़े कहता है "मुझे मंज़ूर है"

फिर कुछ सोच के वो वापस आता हैं और मीरा के गले लग जाता है उसकी इस हरकत से मीरा शॉक हो जाती है, तभी उसे अपनी गर्दन पर गिलापन महसूस होता है वो समझ जाती है की सिद्धार्थ रो रहा है मीरा उसे शांत करने की कोशिश करती है थोड़ी देर बाद सिद्धार्थ उससे अलग होता है और उसे देखते हुए कहता है "मुझे भी प्यार और ममता की ज़रूरत है मीरु, बहुत साल अकेला रहा हु, इस दुनिया मे कोई नही है,अब तुमभी ऐसी बात करोगी तो मै क्या करूँगा!

"मेरे माँ बाप को उसने मुझसे छीन लिया, मेरी बहन को छीन लिया मेरी मोहब्बत छिन"..  वो आगे कुछ बोलता उससे पहले ही मीरा कहती है "तुम्हारी मोहब्बत आज भी तुम्हारी ही है सिड"  सिद्धार्थ उसे देखने लगता है तो मीरा कहती है "मै सही कह रही हु उसने तुम्हे खुद से दूर भले कर दिया" "क्योंकि वो खुद को तुम्हारे लायक नही समझती है" इसलिए दूर भगती है ,नही तो बहुत प्यार करती है तुमसे" मीरा की बात सुन सिद्धार्थ कंफ्यूज़  होकर पूछता है "तुम्हे कैसे पता"

मीरा मुस्कुरा कर कहती है "दोस्त है मेरी उसे उससे ज़ादा जानती हु मै" सिद्धार्थ उसे कुछ देर देखता है फिर कहता हैहै

"दुनिया तो दर्द देती है, उस दर्द की दवा हो तुम"

"कोई समझे ना समझे, समझ जाती हो तुम"

"उलझन तो बहुत है, सुलझा लेती हो तुम"

"दुआ तो बहुत की, जो बिन मांगे पूरी हुई वो दुआ हो तुम"

फिर वो वहाँ से चला जाता है और मीरा बस देखती रह जाती है थोड़ी देर बाद वो भी नीचे आ जाती है सब अपना अपना समान पैक कर चुके थे रिहान कल आने का बोलकर अपने डेड के पास चला जाता है थोड़ी देर मे शौर्य भी घर आ जाता है..

शौर्य सिद्धार्थ से  कहता है "तु साथ चल रहा है" सिद्धार्थ उसे देखता है फिर कहता है जैसे तु मना करेगा तो मै नही जाऊंगा शौर्य उसे घूर कर देखता है "लगता है दरवाज़ा बंद करना पड़ेगा घर का"

सिद्धार्थ उसके कंधे पर कोहनी रखते हुए कहता है "तु भूल रहा है वो घर अब सिर्फ तेरा नही रहा" और अपनी आँखे झपका देता है "अब तु चैंपियन नही गुलाम हो गया समझा"

शौर्य गुस्से का नाटक करते हुए कहता है "क्या कहा तूने गुलाम रुक जा मै बताता हु तुझे गुलाम कौन है" और उसे मारने दोडता है सिद्धार्थ भाग के सोफे के पीछे चला जाता है "देख चैंपियन ये गलत है फिज़िकल क्युँँ हो रहा है" दूर से बात कर" शौर्य "तु लातो का भूत है बातों से नही मनेगा"

सिद्धार्थ उससे बचने के लिए बार बार बहाने बना रहा था, लेकिन शौर्य उसके पीछे पड़ा हुआ था, तभी उसकी नज़र मीरा पर जाती है जो साइड मे खड़ी हस रही थी, सिद्धार्थ जल्दी से जाके उसके पीछे खड़ा हो जाता है शौर्य भी उस तरफ भागता है दोनो उसके आगे पीछे गोल गोल घूम रहे थे और लड़े जा रहे थे तभी शौर्य राहुल को बोलता है "चैंपियन पकड़ इसको" उसकी बात सुन राहुल भी सिद्धार्थ को पकड़ने लगता है ,पूरे घर मे तीनो भाग दौड़ कर रहे थे और मीरा तीनो को रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन तीनो सुन ही नही रहे थे तभी तीनो के कान मे मीरा की दर्द भरी आह पड़ी मीरा अपने राइट हैंड् को अपने दिल पर रखके कराह रही थी और घुटने के बल बैठी थी

तीनो उसकी तरफ भागते हैं और वहीं बैठ कर पूछने लगते हैं शौर्य परेशान होते हुए केहता है "कया हुआ तुम ठीक हों ना" उसका ईतना केहना था की मीरा खड़ी हो जाती और अपना एक हाँथ कमर पर रखके कहती है "ये मेरा घर है अखाडा नही जो आप तीनो लड़े जा रहे हैं फिर शौर्य को घूर कर कहती है" क्या है इतने बड़े हो गए और बच्चो की तरह लड़ रहे हैं" सिद्धार्थ शौर्य को डांट खाता सुन बहुत खुश हो रहा था...

क्या सब ठीक हो चुका है? क्या फिर होगी दस्तक किसी बड़ी साजिश की? जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "एक मां ऐसी भी"

वानी #कहानीकार प्रतियोगिता

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